“हम स्वाधीन भारत के बेटे हैं”
हम स्वाधीन भारत के बेटे हैं,
हिंदी हमारी भाषा है,
नित्य गगन में लहराये तिरंगा,
यही हमारी अभिलाषा है।
हम हैं मां भारती के वीर सपूत ,
आओ, अमृत महोत्सव मनायें,,
लें, शपथ स्वराष्ट्र हित का,
कभी शीश नहीं झुकने पायें।।
वे कायर हैं, देश द्रोही हैं,
जिन्हें निज राष्ट्र नहीं भाता है,
वे कलंकी,अधर्मी,अभिशापित है,
जिनके हिय में,राष्ट्रप्रेम नहीं बरसता है।।3
मातृभूमि पर सर कटे,
ये परम सौभाग्य हमारा है,
हैं निर्जीव,पशु समान वो प्राणी,
जिन्हें निज राष्ट्रहित नहीं प्यारा है।।
हम तन-मन-धन सब अर्पित कर दें,
स्वराज धर्म यही सिखलाता है,
राष्ट्रहित हो सर्वोपरि ,
युवराज बार-बार यही दुहराता है।।