हम सीवान के लड़के हैं
बेइंतहा, बेहिसाब
तुमसे प्यार करता हूं
मैं लड़का हूं सीवान का
खुद पे नाज़ करता हूं।।
एक बार अगर तू हां कह दें
तो डर नहीं, हमें किसी अंजाम से
हम लड़के हैं सीवान के
चलते हैं सदा सीना तान के।।
गलतफहमी कभी मत पालना
कि हम वादा करके मुकड़ जाएंगे
हम सीवान के लड़के हैं
हम अपने आन पे जीतें-मरतें हैं।।
हम हर मुश्किल में सबके साथ चलतें हैं
इंसान हैं हम, एक-दूसरे के खातिर जीतें हैं
हम सीवान के लड़के हैं
हर ज़ुल्म पे आवाज उठाते हैं
इश्क हो या जंग
बड़ी ईमानदारी से निभाते
साहब,हम सीवान के लड़के हैं
फूलों पे कभी वार नहीं करते।।
एक,दो,तिन, चार नहीं
हम संख्याओं में पूरे नवासि हैं
पलट के देखों हमें,हम सीवान के वासी हैं
हम बड़े शान-शौकत से रहतें हैं।।
यकीन नहीं हैं तो इम्तिहान ले लो
हम हर उम्मीद पे खड़े उतरते हैं
जनाब,हम सीवान के लड़के हैं
खिलौनों से नहीं ,आग से खेलते हैं।।
मिलेंगे लड़के तुम्हें बहुत
मगर मुझ सा कोई बिरला नहीं होगा
हम सीवान के लड़के हैं
हर बात पे हम जवाब नहीं देते।।
हम यू ही दिल किसी को दिया नहीं करतें
हर घाट के पानी पिया नहीं करतें
हजूर ,हम सीवान के लड़के हैं
अपने पहचान को धूमिल किया नहीं करतें।
नितु साह(हुसेना ब़गरा)सिवान-बिहार