हम सभी बंदर हैं, कैसे?
चॉक गए न, आप यही सोच रहे होंगे कि हम सभी बंदर कैसे हैं? क्योंकि हम सभी तो इंसान हैं। जब इंसान हैं तो फिर बंदर कैसे हुए? शायद आपको मालूम नहीं है कि हम लोग जब इंसान बने, उससे पहले बंदर ही थे और बंदर के बाद ही धीरे-धीरे परिवर्तन होता गया और बाद में हम सभी मानव यानी इंसान बन गए लेकिन जिस तरीके से उस समय जब बंदर थे और बंदर के समय जो कार्य करते थे वही कार्य आज भी हम करते हैं जैसे आप देख लीजिए एक मदारी बंदर को जैसा कहता है वैसा ही बंदर करता है और मदारी के कहने पर जब बंदर उस कार्य को करता है तो लोगों को लगता है कि बंदर हम सभी को खेल दिखा रहा है और इस खेल का कीमत आम इंसान कुछ रुपया, अनाज में दे देता है, जिससे मदारी का पेट भरता है और उस बंदर का जो मदारी का खेल दिखा रहा था।
उसी प्रकार हम सभी इंसान तो है लेकिन उसी मदारी के बंदर के जैसे हैं। इसलिए हैं क्योंकि जैसे कि आप कोई सरकारी जॉब करते हैं या प्राइवेट जॉब करते हैं तो उसका मालिक, उसका ऑनर, उसका निर्देशक जो कहता है कार्य करने को, वही कार्य करना पड़ता है। जहां कहता है जाने को, वहां जाना पड़ता है। अगर आप नहीं जाइएगा तो आपको जॉब यानी नौकरी से हटा सकता है। इसीलिए इंसान को उस सारे कार्य को करना पड़ता है जो उनका ऑनर, निर्देशक कार्य करने का दिशा निर्देश देता है यानी हम उसी मदारी के बंदर के जैसे हैं। जैसे मदारी बंदर को कहता है खेल खिला कर दिखाने के लिए। उसी प्रकार जब हम लोगों का सरकार दिशा निर्देश देती है उस दिशा निर्देश का पालन करते हैं तो उसके जैसा ही कार्य करते हैं।
अगर आप सोच रहे होंगे भाई हम तो ना सरकारी जॉब करते हैं, ना प्राइवेट जॉब तो फिर हम कैसे बंदर? तो आप उस बंदर की जैसे हैं। जैसे कुछ बंदर मदारी के हाथ में तो नहीं है लेकिन जंगलों में भटकते फिरते रहते हैं और अपने पेट भरने के लिए किसी पेड़ पौधे के फल खाते हैं तो किसी के द्वार-द्वार दौड़ कर जाते हैं और कुछ लोग डाल देते हैं तो वही खा लेते हैं अपने पेट भरने के लिए। उसी प्रकार आप वही बन्दर है कि अपने पेट पालने के लिए कहीं ना कहीं जाकर रोजगार करते हैं या अपनी खेती बाड़ी को करते हैं। इस प्रकार हम सभी मानव एक तरह से बंदर ही हैं और वह भी आज के समय में भी।
लेखक – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳