हम सब फूल विविध वर्णों के
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हम सब फूल विविध वर्णों के,
सतरंगी संसार बनायेंगे
बैर-भाव से हमें जूझना,
हेतु कवच के प्यार लगायेंगे
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विस्तृत वसुधा बने वाटिका,
सौरभ चहुँ ओर बिखेरेंगे
मुस्कान-मधु वितरित करना है,
काँटों संग चाहे खेलेंगे
जुड़कर हम सब एक सूत्र में,
अखिल विश्व इक हार बनायेंगे
बैर-भाव से हमें जूझना……
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नाम भिन्न हो चाहे हमारे,
बेला,जूही,चमेली
मिल कर वर्षा,पवन,सूर्य ने
हम संग की अठखेली
लौटाने को प्यार प्रकृति का,
धरती का श्रृंगार रचायेंगे
बैर-भाव से हमें जूझना…..
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✍हेमा तिवारी भट्ट✍