हम सबकी ही ज़िन्दगी, खेला करती खेल
हम सबकी ही ज़िन्दगी, खेला करती खेल
साँसों पर ऐसे चले , जैसे कोई रेल
जैसे कोई रेल , चले अपनी पटरी पर
कभी चले ये तेज़, कभी तो सरक सरक कर
कहे ‘अर्चना’ बात, हारती तो होता ग़म
अगर जीतती खेल , ख़ुशी में गाते हैं हम
13-08-2022
डॉ अर्चना गुप्ता