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3 Sep 2016 · 1 min read

हम-सफर नहीं जिनके रास्तों से जलते है

हम-सफर नहीं जिनके रास्तों से जलते हैं
इनकी अपनी राय है मशवरों से जलते हैं

जब ज़बान खोलेंगे आग ही निकालेंगे
इनको जानता हूँ मे ये गुलों से जलते है

हम मज़ाज दिवाने मसलेहत से बेगाने
क्यों तेरे शहर वाले आदतों से जलते हैं

जिनके हाथ खाली है वह तो बस सवाली हैं
जिनके पास सबकुछ है दूसरों से जलते हैं

– नासिर राव

1 Like · 328 Views

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