हम सच बोलकर भी झूठे हो गए
हम सच बोलकर भी अब झूठे हो गए,
वे झूठ बोलकर भी अब सच्चे हो गए।
गलती इतनी, सच को सच कह दिया,
इसी बात पर वे मुझसे नाराज़ हो गए।
हम वफ़ा करके भी, वे बेवफा हो गए,
वे बेवफा होकर भी, वफादार हो गए।
ढाए उन्होंने कितने जुल्म सितम मुझ पर,
सहते रहे ये सोचकर ये जुल्म पूरे हो गए।
पाले थे बहुत अरमान,कोई पूरा न हुआ,
दिल में बचे अरमान,सब खाक हो गए।
जिंदगी में अब क्या बचा,जो उसे गुनगुनाए,
जब वे तलाक लेकर मुझसे अलग हो गए।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम