“हम वो हिन्दुस्तानी थे”
वतन के हित मे जिये,हम वो हिंदुस्तानी थे.
मातृभूमि के हर एक जर्रे मे,लिखी हमारी कहानी थी.
हम मातृभूमि के लाल,वतन के हर दुश्मन से टकराये थे.
आज भी अमर है हम,क्योंकि देश हित मे हमने प्राण गवाये थे.
प्यार, परिवार सब त्याग दिया,क्योंकि खून मे डूबी जवानी थी.
मातृभूमि के हर एक जर्रे मे,लिखी हमारी कहानी थी.
सुभाष,भगत सिंह,चंद्रशेखर आजाद अनेको नाम हमारे थे.
माथे पर बांध कफन,इंकलाब के लगते नारे थे.
खून मे थी गर्मी बनी,जिश्म मे जो जीत कि रवानी थी.
मातृभूमि के हर एक जर्रे मे,लिखी हमारी कहानी थी.
वीरों का बलिदान ना भूलो,देश के वासी.
देश कि सम्मान के खातिर,हर एक ने अपनी बली चढ़ा दी.
तोड़ जंजीर हिन्द आजाद किया,जो भी अंग्रेजो कि गुलामी थी.
मातृभूमि के हर एक जर्रे मे,लिखी हमारी कहानी थी.
धन्ये है वो माँ,जिनके वीर वो मतवाले थे.
धन्ये है वो नारी,जिसने अपने मंगलसूत्र उतारे थे
छीन नहीं सकता कोई हमसे,स्वतंत्र देश ऐसी निशानी थी.
मातृभूमि के हर एक जर्रे मे,लिखी हमारी कहानी थी.
वतन के हित मे जिये,हम वो हिंदुस्तानी थे.
मातृभूमि के हर एक जर्रे मे,लिखी हमारी कहानी थी