हम लिख चले तराना
मिला दिन तुम्हें ये पावन, खुशियाँ सभी मनाना।
मेरे गीत गुनगुनाना, हम लिख चले तराना।।
हुई गोद माँ की सूनी, बहिनो की राखी छूटीं।
भरी माँग भी तो उजड़ी, कहीं चूड़ियाँ भी टूटी।।
रहे बच्चे सब बिलखते, वो शहीद बन के आना।।
मेरे गीत गुनगुनाना, हम लिख चले तराना।।
मिला दिन तुम्हें ये पावन……
सभी रिश्तों को तड़पते, मैं तो घर मे छोड़ आया।
किया तन औ मन समर्पित, गले मौत को लगाया।।
लड़े साँस आखिरी तक, हमें देश था बचाना।
मेरे गीत गुनगुनाना, हम लिख चले तराना।।
मिला दिन तुम्हें ये पावन……..
था सिरों पे मौत साया,वहीं जुल्म औ सितम था।
नहीं हार मानी मैंने,मेरी बाजुओं में दम था।
है धरा हमारी पावन, नही रक्त अब बहाना।।
मिला दिन तुम्हे ये पावन——————–
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा