हम लड़के ऐसे होते हैं।
छोटे थे तो छोटी बहनों की,
गलती हम अपने पर ले लेते थे।
डॉट मुझे पड़ती रहती थी,
फिर भी आंखों से खुशी झलकाते हैं।।
क्या करें हम लड़के ऐसे होते हैं।
जाने लगे जब स्कूल तो,
उनकी गलतियों पर भी माफी दे देते थे।
अधूरा काम कर छोटों का,
मन प्रसन्न न कर, सुकून पा लेते हैं।।
क्या करें हम लड़के ऐसे होते हैं।
हुए युवा तो अपने दर्द,
हम छुपाने में लग जाते हैं।
दिखा मुस्कान चेहरे पर,
छुप कर अकेले में रो लेते हैं।।
क्या करे हम लड़के ऐसे होते हैं।
दूख सुख को दिल मे रख,
बोझ जीवन का ढोते रहते हैं।
समय कैसा भी हो,
अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहते हैं।।
क्या करें हम लड़के ऐसे होते हैं।
आया बुढ़ापा तो तरसने लगे,
प्यार मुलाकात अपनेपन के लिए।
ऐसा क्या कर दिया तुमने हमारे लिए,
यह कहकर अब सब जताने लगते हैं।।
क्या करें हम लड़के ऐसे होते हैं।