हम रात भर यूहीं तरसते रहे
बादल रात भर गरजते रहे।
हम रात भर अकेले डरते रहे।।
बादल आस्मां से बरसते रहे।
हम रात भर यूंही तरसते रहे।।
बिजली बादलों में चमकती रही।
बिंदिया मेरी माथे पर दमकती रही।।
बारिश के साथ ओले गिरते रहे।
हम अकेले ठंड में सिकुड़ते रहे।।
वे झूठे ख्वाब मुझे दिखाते रहे।
हम रात भर करवट बदलते रहे।।
रात भर जगे थे,सुबह हम सोते रहे।
चूकी पूरी रात हम यूंही तड़पते रहे।।
वे वादे पे वादे मुझसे करते रहे।
हम जिंदगी भर आंसू बहाते रहे।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम