“हम भी तुम भी”
तुमसे खफ़ा हम भी हैं, हमसे खफ़ा तुम भी
तुमसे जुदा हम भी हैं , हमसे जुदा तुम भी
इत्तेफ़ाक़ था, वो तुमसे मेरा इश्क़ फ़रमाना
सुनो इश्क़ में धुँआ हम भी हैं, धुँआ तुम भी
छोड़ो सब कुछ इक़ ख़्वाब समझ भूल जाए
देखों ग़मज़दा हम भी हैं , ग़मज़दा तुम भी
बड़ा पेंचीदा बड़ा बेदर्द ग़मदीदा सफ़र था वो
उस सफ़र से रुसवा हम भी हैं, रुसवा तुम भी
अब क्या रक्खा है, इश्क़ में रूसवाई के बाद
बा ख़लिश फ़ना हम भी हैं , कि फ़ना तुम भी
ऐ अज़नबी अब ख़ता गिनाने से क्या फ़ायदा
जाओ हमसे दूर, तन्हा हम भी हैं तन्हा तुम भी
_____अजय “अग्यार