हम भी उन्हें आजमाते रहे
इश्क कुछ इस कदर हम निभाते रहे
दूर से ही महज मुस्कुराते रहे
वो हमें आजमाती रही उम्र भर
और हम भी उन्हें आजमाते रहे
छोड़कर गीत गजलों की सरगम प्रिये
हम तुम्हें बस तुम्हें गुनगुनाते रहे
आफताबों की गर्मी निगलते गए
पर चरागों से दामन बचाते रहे
प्यार था ही नहीं तो कहो रेत पर
नाम क्यों मेरा लिखते-मिटाते रहे
चाहा तुमको ही वैसे तो हर मोड़ पर
लोग आते रहे लोग जाते रहे