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10 Dec 2021 · 1 min read

हम भी इंसान हैं …

बताओ तो सही हमारा क्या है कसूर ?

अपने फर्ज़ के लिए आए अपनो से दूर ।

हमारा भी तो है घर,परिवार और बच्चे ,

सोचो ! कितनी मुश्किल से हुए होंगे दूर ।

प्रशासनिक/ निजी नौकरी ही सही ,

देश हित में फर्ज़ से बंधे चले आए इतनी दूर ।.

सरकार हमें देती है वेतन के सिवा और क्या !

अपने परिवार को पालने हेतु हम भी मजबूर ।.

यह महामारी हमारे लिए भी जोखिम से कम नहीं,

चूंकि मानवता को बचाने का यही चला आया दस्तूर ।

हम तुमसे कुछ नहीं मांगते एक सम्मान के सिवा ,

हाँ ! मगर सहयोग और मानवता की अपेक्षा भी है ज़रूर

गर तुमसे इतनी भी इंसानियत निभानी है मुश्किल ,

तो कम से कम हमारी जान के दुश्मन तो ना बनो ,

काल बैठा है अपना पंजा फैलाकर,फिर कैसा गुरूर !

उचित तो है यही के देश का और हमारा सहयोग करो,

गर सब एकजुट होंगे इस महामारी से जीतेंगे हम ज़रूर ।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 441 Views
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