हम बरसात में रोए
जब तुमसे मिले उन हालत पे रोए
बिछड़कर तेरी हर बात पे रोए
जेहन में अब भी तेरा ही बसेरा है
हम रात दिन तेरे ख्यालात पे रोए
दर्द होता है जब ज़ख्म रिसने लगते
वफ़ा में हासिल इन सौगात पे रोए
इश्क में यहां रोना भी कहां आसान
छुपाकर सभी से हम बरसात में रोए
प्रज्ञा गोयल ©®