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9 Feb 2023 · 1 min read

हम बरसात में रोए

जब तुमसे मिले उन हालत पे रोए
बिछड़कर तेरी हर बात पे रोए

जेहन में अब भी तेरा ही बसेरा है
हम रात दिन तेरे ख्यालात पे रोए

दर्द होता है जब ज़ख्म रिसने लगते
वफ़ा में हासिल इन सौगात पे रोए

इश्क में यहां रोना भी कहां आसान
छुपाकर सभी से हम बरसात में रोए

प्रज्ञा गोयल ©®

Language: Hindi
193 Views

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