” हम बच्चों पर दया दिखाइये “
हम नन्हीं सी जान हैं
कितने हम नाजुक
और थोड़े से नादान हैं ,
दिमाग हमारा बहुत तेज है
पर हमारे ये बस्ते देखो
इनका हम पर भार बहुत है ,
दौड़ – भाग से नही हम थकते हैं
लेकिन इन बस्तों के बोझ से
रह – रह कर हम रूकते हैं ,
हमें अपनी प्रतिभा नही दबाना है
इस भारी बोझे को ढ़ोकर
खुद को नही थकाना है ,
सब बच्चों को पढ़ने में आगे बढ़ना है
भारी बस्तों के साथ स्कूल पहुँच कर
हम ये सोचें अब सीढ़ी कैसे चढ़ना है ,
टाईम टेबल सोच कर बनाओ
मोटी पतली किताबों को मिलाकर
फिर उनको बस्ते में रखवाओ ,
बैग फ्री नियम लागू कराईये
सारी किताबें स्कूल में रख कर
हम बच्चों पर दया दिखाइये ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 01/10/2020 )