हम प्यार से कहते हैं शिकायत नहीं करते
हम प्यार से कहते हैं शिकायत नहीं करते।
हम रिश्ते निभाते हैं तिजा़रत नहीं करते।
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आंखों में तो देखा है उनके प्यार कई बार।
जब मिलते हैं इज़हार ए मोहब्बत नहीं करते।
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तू ही मेरी इज्ज़त है तू ही मेरी दौलत।
तेरे सिवा कुछ और हम चाहत नहीं करते।
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लिखते हैं तुम्हें देखकर हर एक ग़ज़ल हम।
क्यों प्यार भरे मुझसे नज़ाकत नहीं करते।
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वोह कोई अमल जिस से मेरा रब ना हो राजी़।
हम सिर्फ दिखावे की इ़बादत नही करते।
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यह मुल्क हमारा है हम इसके निगेहबान।
हम जान दे देते हैं बगा़वत नहीं करते।
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ऐ रब तू माफ कर दे गुनहगार बहुत है।
हम तेरी अ़दालत में वकालत नहीं करते।
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इक पल नहीं रह पाते हैं नज़रों से दूर जो।
सगी़र वह कहते हैं मोहब्बत नहीं करते।
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