हम पचास के पार
😭😭😂😂
सूने होंगे गले
छिनेंगे अब बाहों के हार
तुम पैंतालिस पार हो गयीं
हम पचास के पार
ठिठुरन का मौसम कर देगा
अपनेपन को गैर
गर्म रखेंगे दिल को जलते
जज्बातों के ढेर
ढली शाम अब याद करेगी
दोपहर के उपहार
तुम पैतालिस पार हुईं अब
हम पचास के पार
बंद कोठरी में बिलखेगी
रति कामद की छाप
आँख दिखाकर आँख कहेगी
सो जाओ चुपचाप
सजी सेज का फूल बनेगा
नागफनी का खार
तुम पैतालीस पार हुईं अब
हम पचास के पार
घड़ी प्यार की चुरा ले गया
बदली रुत का चोर
याद गई रुत की लगती है
डायन आदमखोर
सहमी दुबकी डरी हुई है
वो चंचल मनुहार
तुम पैतालीस पार हो गईं
हम पचास के पार
शामों के ठंडे सायों में
जल जाएगा रूप
फूल खिला रह सकता है यदि
मिले जरूरी धूप
कान हुए बहरे मौसम के
सुनते नहीं गुहार
तुम पैंतालिस पार हुईं अब
हम पचास के पार
संजय नारायण