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12 Oct 2024 · 1 min read

हम ने माना अभी अंधेरा है ।

हम ने माना अभी अंधेरा है ।
पास लेकिन बहुत सवेरा है ।

मैल दिल में कोई नहीं रखना ,
दिल में रब का अगर बसेरा है।

छीन लेता है साथ अपनों का ,
वक़्त वो बे-रहम लुटेरा है।

सब मुसाफ़िर हैं एक मंज़िल के ,
ये जहाँ तेरा है न मेरा है।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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