हम ने माना अभी अंधेरा है ।
हम ने माना अभी अंधेरा है ।
पास लेकिन बहुत सवेरा है ।
मैल दिल में कोई नहीं रखना ,
दिल में रब का अगर बसेरा है।
छीन लेता है साथ अपनों का ,
वक़्त वो बे-रहम लुटेरा है।
सब मुसाफ़िर हैं एक मंज़िल के ,
ये जहाँ तेरा है न मेरा है।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद