” हम ना सुधरे थे …ना सुधरे हैं ….ना सुधरेंगे “
(व्यंग )
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमें अद्भुत यंत्रों की। …सौगात मिल गयी है फिर हम इतरायेंगें क्यों नहीं ?…बैठे- बैठे हमारे दिमाग में खुराफाती का संक्रामक रोग जो फैलता जा रहा है ! कभी फेसबुक के पन्नों से छेड़ -छाड़ करने लगते हैं …कभी व्हाट्सप्प पर अपनी उंगलिओं से खुजलाहट करते हैं……. कभी कूदकर मैसेंजर के मैदानों पर अपना कर्त्तव्य दिखाने लगते हैं….. विडिओ कालिंग की तो बात पूछिए मत …कोई किसी अवस्था में हों हमें क्या करना ?……हम उनकी नींदें हराम करते हैं …रही सही कसर अपने टेलीफोन से निकाल लेते हैं !……आखिर यही तो फायदा है इन यंत्रों का। …..अब एनरोइड मोबाइल हमारे गले की घंटी बन गयी है। …..बाथ रूम से बिस्तर तक ये हमारे साथ रहते हैं !…..मजाल है इसे कोई छू ले ?……मित्रता के बंधनों में जुड़ना एक लोहा चबाने की बात हुआ करती थी ..पर अब वो बात रही नहीं। ….अब पलक झपकते सैकड़ों मित्रों की कतार लग जाती है। …..और हम सबको अपना सैन्य संगठन दिखलाते हैं !…हमें क्या वे कुछ लिखें …..स्नेह से भरा पत्र ही क्यों ना लिखें ….हमें फुरसत ही कहाँ जो उनके पत्रों का जबाब दे दें ?……हम तो लोगों के चुराए पोस्टों को शेयर करना जानते हैं। …..रही बात लोगों की ….यदि वे कुछ लिखते हैं तो …..है ना ….हमारे पास विभिन्य भंगिमाओं बाली तस्वीरें !……उसे ही चिपका देते हैं …प्रणाम……अभिनन्दन ……आभार …सुन्दर ….विलक्षण इत्यादि को लिखते मेरी उंगलियाँ जबाब दे देतीं हैं! आखिर इन कमेंटों से हम परेशान हो गए हैं !यह तो भला हो हमारे ” गुरुदेव द्रोणाचार्य गूगल “की जिन्होंने “गिफ़” का महान तोहफा दे रखा है !उसे ही चिपका देते हैं …इसे ही”ग़िफ ” कहते हैं ! …..कभी ताली वाला फोटो ….कभी अंगूठा इत्यादि से हमारा काम चल जाता है !…… प्रणाम शब्द हम नहीं लिखते हैं ….तो क्या फोटो चिपकने से प्रणाम नहीं होता ? हम तो गूगल बाबा से गुहार करेंगे कि गिफ़ का ऐसा नया ब्रह्माश्त्र हमें दें ताकि बिना प्रयत्न किये हम कौरव के पिता बन जाएँ …….हमारे मित्र जिनको हमने मित्रता के बंधनों में बांध लिया अथवा जिन्होंने हमें मित्र बनाया …….वो हमसे श्रेष्ठ हो या अनुज उन्हें अब हम मैसेंजर में घुसकर उनके किलाओं की सुरक्षा कवच को तहस नहस करेंगे ……मांगे हुए उधार पोस्टों से उनका मन बहलायेंगे …..बिना पूंछे टैग करते रहेंगे …..बिन बताये किन्हीं ग्रुप से उन्हें जोड़ देंगे ……आखिर हमें कहाँ है उन्हें जानने और समझने की कला ?……अधिक से अधिक हमें तंग होकर अनफ्रेंड या ब्लॉक करेंगे और क्या करेंगे ? रही बात सुधरने की हम ना सुधरे थे ….ना सुधरे हैं …..ना सुधरेंगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
एस ० पी ० कॉलेज रोड
साउंड हेल्थ क्लिनिक
दुमका
झारखण्ड