* हम तक़दीर कहां बना पातें हैं *
तकदीरें बनती बिगड़ती है
हम तक़दीर कहां बना पाते हैं
मगर तस्वीर हम जब चाहे तब
सीने से लगाकर सुकून पा लेते हैं
फिर भी किसी ने ठीक ही कहा है
एक समय ऐसा आता है जब
अपनी तस्वीर अंजानी लगती है ।।
तस्वीरों का ख्याल भी तो हम रखते हैं
तस्वीरें कहां ख्याल अपना रखती है ।।
? मधुप बैरागी