“ हम तो एक साथ सबको “ थैंकयू “ कह देते हैं “
{ एक कटु व्यंग }
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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अकर्मण्यता हमारे रगों में कूट -कूट कर भरी हुयी हैं ! हम अपने खुशिओं के पल को फेसबुक के पन्नों में बिखेरते हैं ! आज हमारा जन्मदिन ,आज हमारा भाषण ,कविता ,अपने किताबों का विमोचन ,हमारे बच्चों की सफलता का जश्न और ना जाने हम क्या -क्या ना लोगों सामने व्यंजन परोसते हैं ! हम व्यग्रता से अपने मित्रों ,श्रेष्ठों ,समतुल्य लोगों की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करते हैं ! किस -किसने हमारी कलाओं को देखा और निहारा ? किस -किसने हमें आभार ,स्नेह ,प्रशंसा ,टिप्पणी ,समालोचना ,अभिनंदन और अपनी तलिओं से हमारा ख़ैर-मक़्दम किया ?
हम सुबह उठते हैं और फेसबुक के पन्नों को खंगालने लगते हैं ! और तो और हम गिनना भी प्रारंभ कर देते हैं ! कितने लोगों ने लाइक किया ,कितने लोगों ने तालियाँ बजायीं ,किसने हमें सराहा और किस -किसने हमारी उपलब्धियों को शेयर किया सबका हिसाब हम रखते हैं !
हम इस युग के व्यस्त कलाकार हैं ! ये प्रशंसा करने वाले सारे हमारे फैन हैं ! भाई ! हम तो ठहरे “सुपर स्टार” ! बस हम तो सिर्फ अपना हाथ हिलायेंगे, अपना रुमाल लोगों के ऊपर फेकेंगे और बदन के कपड़ों को उतार कर सलमान बन जाएंगे ! सुपर स्टार को कहाँ है फुर्सत ?
आप कुछ भी लिखें अंत में हम अपना हाथ हिला देंगे और कह देंगे —-
“ आप लोगों ने हमारे जन्म दिन की शुभकामना दी !
हरेक व्यक्ति को तो हम आभार ,अभिनंदन कर नहीं सकते !
हम काफी व्यस्त हैं ! ”
इसलिए हम एक साथ विशाल मंच पर खड़े होकर फिल्म “ सरकार “ के अमिताभ बच्चन की तरह हाथ हिलायेंगे और फेसबुक के अंतिम प्रकोष्ठ में “ सबको थैंकयू “ लिख देंगे ! ………………
यह कैसी बिडम्बना है ? दोस्त बनाने की प्रतियोगिता चल पड़ी ! हम मान भी लें कि हम नेपोलियन बोनापार्ट विश्व के महानतम सेनापति नहीं बन सकते जो अपने तमाम सेनिकों का नाम कंठस्थ याद रखते थे और वे उनका नाम लेकर सम्बोधन करते थे ! पर हम इतने कुम्हकरण प्रवृति के क्यों बनते जा रहे हैं ? जो हमें आदर और सम्मान देता है कम से कम उन्हें सम्बोधन करके आभार तो व्यक्त करना चाहिए अन्यथा लोगों के मानस क्षितिज से हम क्रमशः विलुप्त हो जाएंगे !
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,
झारखंड
भारत
28.08.2021.