हम-तुम
गीत/कविता/नज़्म: हम-तुम
1.
एक तुम्हारे होने भर से, क्या से क्या हो जाता हूं।
खुद ही खुद से मिलता हूं, और खुद में ही खो जाता हूं।।
2.
तुम मेरी परछाईं सी हो, मुझमें हरदम रहती हो।
साथ तुम्हारे उठता हूं, और साथ में ही सो जाता हूं।।
3.
हां किंतु ये भी सच है, हम दोनो नहीं बराबर है।
पर तुम साथ तो देकर देखो, क्या से क्या हो जाता हूं।।
4.
अब कुछ बचा नहीं हो लेकिन, फिर भी यादों में सब है।
खुद से कर के बात तुम्हारी, खुद ही खुश हो जाता हूं।।
5.
सुना है हमने कहते हैं सब, मोहन कहता नहीं अभी कुछ ।
जो कुछ कहना होता है अब, गीत बनाकर गाता हूं।।
-मोहन