हम तुम मिलेंगे उस राह
हम तुम मिलेंगे उस राह
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तुम्हें चाहेंगे इस कदर
तुम्ही चाहोगी जिस कदर
तुम जाओगी भी जिधर
हम आ जाएंगें उधर
जिस दिशा में होंगे तुम
उस दिशा मेंं होंगे हम
जिस दशा में होंगे तुम
उस दशा में होंगे हम
तुम अगर भटकोगे राह
हम तुम मिलेंगे उस राह
तेरे दिल में होगी चाह
दिल में बढ जाएगी चाह
नयनों में बहें तेरे अश्रु
मेरी आँखों से बहेंगे अश्रु
बेकार नहीं होंगें वो अश्रु
बेशकीमती अनमोल अश्रु
तुम जितना रूलाओगे
हम तुम्हे बेहद हंसाएंगे
तुम गर हमें दूर भगाओगे
हम तुम्हे दिल से लगाएंगे
तुम ओझल हो जाओगे
दीया जला कर ढूँढेंगे
सुखविंद्र दरिया में डूबोगे
पाताल से भी ले आएंगे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)