Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2023 · 1 min read

हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत

हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए,
चाहकर एक दूजे से मिल ना सके।।

एक अधूरा सा जीवन लिए साथ में,
एक दूरी तलक साथ चलते रहे।
दूरियां फिर मगर ऐसे बढ़ती गईं,
मिलके बिछड़े, मगर फिर से मिल ना सके।

हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए, चाहकर एक दूजे से मिल ना सके।।

हर सरल राह चुनकर, तुम्हें सौंपकर,
नाम अपने कठिन राह करते रहे।
तुम सरल राह पाकर के आगे बढ़ी,
हम कठिन राह पर, ज्यादा चल ना सके।

हम तुम एक नदी के दो तट हो गए, चाहकर एक दूजे से मिल ना सके।।

अभिषेक सोनी
(एम०एससी०, बी०एड०)
ललितपर, उत्तर–प्रदेश

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 315 Views

You may also like these posts

*अच्छे बच्चे (बाल कविता)*
*अच्छे बच्चे (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जहां  हर मोड़  पर  खड़ा  हो बेईमान
जहां हर मोड़ पर खड़ा हो बेईमान
Paras Nath Jha
लघुकथा कहानी
लघुकथा कहानी
Harminder Kaur
"घनी अन्धेरी रातों में"
Dr. Kishan tandon kranti
- भाई से बड़ा नही कोई साथी -
- भाई से बड़ा नही कोई साथी -
bharat gehlot
*नारी*
*नारी*
Dr. Priya Gupta
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
Er.Navaneet R Shandily
बिना आमन्त्रण के
बिना आमन्त्रण के
gurudeenverma198
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
आर.एस. 'प्रीतम'
कागज़ की नाव.
कागज़ की नाव.
Heera S
5. Festive Light
5. Festive Light
Ahtesham Ahmad
4231.💐 *पूर्णिका* 💐
4231.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ओशो रजनीश ~ रविकेश झा
ओशो रजनीश ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
डिज़िटल युग का पदार्पण हो गया! हम द्रुत गति से सफलता के सभी आ
डिज़िटल युग का पदार्पण हो गया! हम द्रुत गति से सफलता के सभी आ
DrLakshman Jha Parimal
प्रार्थना के स्वर
प्रार्थना के स्वर
Suryakant Dwivedi
sp 113श्रीगोवर्धन पूजा अन्नकूट
sp 113श्रीगोवर्धन पूजा अन्नकूट
Manoj Shrivastava
कृष्ण
कृष्ण
Chaahat
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
स्याह एक रात
स्याह एक रात
हिमांशु Kulshrestha
#हँसती है ज़िंदगी तो ज़िन्दा हैं
#हँसती है ज़िंदगी तो ज़िन्दा हैं
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
संसार की अजीब रीत
संसार की अजीब रीत
पूर्वार्थ
"मर्यादा"
Khajan Singh Nain
दौर चिट्ठियों का बहुत ही अच्छा था
दौर चिट्ठियों का बहुत ही अच्छा था
Rekha khichi
मेरे भीतर मेरा क्या है
मेरे भीतर मेरा क्या है
श्रीकृष्ण शुक्ल
सुहागन की अभिलाषा🙏
सुहागन की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
#व्यंग्य-
#व्यंग्य-
*प्रणय*
दीप ज्योति जलती है जग उजियारा करती है
दीप ज्योति जलती है जग उजियारा करती है
Umender kumar
जहाँ जहाँ कोई उर्दू ज़बान बोलता है।
जहाँ जहाँ कोई उर्दू ज़बान बोलता है।
इशरत हिदायत ख़ान
मेंहदी राचे है लाल ,
मेंहदी राचे है लाल ,
Vibha Jain
Loading...