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27 Mar 2022 · 1 min read

हम तुम्हारी याद में कुछ इस कदर उलझे रहे।

गजल

2122…….2122…….2122…….212
हम तुम्हारी याद में कुछ इस कदर उलझे रहे।
सुल्झनें की कोशिशों में दिन ब दिन फँसते रहे।

जबसे देखा आपको है खूबसूरत जिंदगी,
आपकी ही झील सी आंखों में हम डूबे रहे।

अन्नदाता जिनको कहते हैं सभी पर सोचिए,
छोड़ सोना चांदी मिट्टी पे ही वो मरते रहे।

आज के नेताओं ने चूसा है अपने देश को,
नेता जी तन मन निछावर देश पर करते रहे।

देश के रण बांकुरे दुश्मन पे यूं हावी हुए,
सांस जब तक आखिरी थी जंग वो लड़ते रहे।

चाहते थे जिसको उसका साथ पाकर दूर थे,
प्रेम करना चाहते पर प्रेम से डरते रहे।

……✍️प्रेमी

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