हम ज्ञान से अंधेरे—–+
हम ज्ञान से अंधेरे की ओर , बढ़ रहे हैं। क्या गजब का पाठ पढ़ रहें हैं।गलत को गलत कहते हैं। हम हमेशा अत्याचार को सहते रहे हैं। सत्य की हमेशा दुहाई देते रहें हैं।पर हमेशा असत्य को गले लगाते रहे हैं। पहचान नहीं,जरा भी कि किस को गले लगाना चाहिए। जिनसे दूरियां होना थी , उन्हें पास न बुलाना चाहिए। कुछ तो सीखा न सका ,था उम्र भर। फिर भी गुरु बन कर,जीता रहा ता उम्र भर।ज्ञान शब्द से बंचित रहा, लेकिन बन गया विज्ञानी। क्यों कि मन की शक्ति से परे जाकर करता रहा मनमानी।