हम जीते हैं शान से,
कविता
हम जीते हैं (सौंक ) शान से,
हमें कुछ काम आ गया,
कल तक जो देर से आया करता था,
आज वक्त पर वो काम आ गया,
कुछ तेरा हैं कुछ मैरा हैं , इस शान में,
लोग जीते थे इस गुमान में,
करा दिया सामना वक्त के एहशास ने,
आज उसका भी नाम आ गया,
कल तक नहीं थी पहचान किसी को ,
आज उसी का नाम याद आ गया,
कल तक समझते थे निकम्मा उसे लोग,
आज उसी से उनको काम आ गया,
नहीं पहचान थी किसी को उसकी,
आज वो ही काम आ गया,
दिया कभी ना उसको सम्मान,
आज वो ही सबसे सम्मान पा गया,
कल तक ना थी उसकी कोई मशहूर पहचान,
आज वो ही सबके दिलों में छा गया,
इच्छा जिसकी होती हैं निशछलिये,
वो ही जिंदगी में मुँकाम पा गया,
स्वभाव जिसका हो निर्मल मन हो साफ,
एक समय पर वो ही नाम पा गया,
हम जीते हैं (सौंक) शान से
हमें कुछ काम आ गया,
कल तक जो देर से आया करता था,
आज वक्त पर वो काम आ गया,||
लेखक —-Jayvind singh