Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Nov 2024 · 1 min read

हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा

हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
हर दर्द मुस्कुराते हुए हमने है सहा
जब मान पर हमारे कोई बात आई तो
टूटे नहीं बिखरे’नहीं संयम बना रहा
डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 14 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
रागी के दोहे
रागी के दोहे
राधेश्याम "रागी"
जाने कहाँ से उड़ती-उड़ती चिड़िया आ बैठी
जाने कहाँ से उड़ती-उड़ती चिड़िया आ बैठी
Shweta Soni
*सच्चे  गोंड और शुभचिंतक लोग...*
*सच्चे गोंड और शुभचिंतक लोग...*
नेताम आर सी
श्याम बाबा भजन अरविंद भारद्वाज
श्याम बाबा भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
"वे खेलते हैं आग से"
Dr. Kishan tandon kranti
चमकते सूर्य को ढलने न दो तुम
चमकते सूर्य को ढलने न दो तुम
कृष्णकांत गुर्जर
चंद आंसूओं से भी रौशन होती हैं ये सारी जमीं,
चंद आंसूओं से भी रौशन होती हैं ये सारी जमीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
हर एक  खैरियत पूछने वाला...
हर एक खैरियत पूछने वाला...
पूर्वार्थ
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
Ravikesh Jha
49....Ramal musaddas mahzuuf
49....Ramal musaddas mahzuuf
sushil yadav
करबो हरियर भुंईया
करबो हरियर भुंईया
Mahetaru madhukar
राखी का मोल🙏
राखी का मोल🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"" *भारत माता* ""
सुनीलानंद महंत
आंखें
आंखें
Ghanshyam Poddar
You never come
You never come
VINOD CHAUHAN
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल 】*
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल 】*
Ravi Prakash
अपने वजूद की
अपने वजूद की
Dr fauzia Naseem shad
अत्यधिक खुशी और अत्यधिक गम दोनो अवस्थाएं इंसान के नींद को भं
अत्यधिक खुशी और अत्यधिक गम दोनो अवस्थाएं इंसान के नींद को भं
Rj Anand Prajapati
Lonely is just a word which can't make you so,
Lonely is just a word which can't make you so,
Chaahat
नए साल की मुबारक
नए साल की मुबारक
भरत कुमार सोलंकी
हां वो तुम हो...
हां वो तुम हो...
Anand Kumar
रमेशराज के नवगीत
रमेशराज के नवगीत
कवि रमेशराज
बिखर रही है चांदनी
बिखर रही है चांदनी
surenderpal vaidya
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अनुभूति
अनुभूति
Pratibha Pandey
छुपा रखा है।
छुपा रखा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
3268.*पूर्णिका*
3268.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
🙅आग्रह🙅
🙅आग्रह🙅
*प्रणय*
सम्मान बचाने के लिए पैसा ख़र्च करना पड़ता है।
सम्मान बचाने के लिए पैसा ख़र्च करना पड़ता है।
Ajit Kumar "Karn"
Loading...