हम चाहते हैं
तेरी हर एक मुस्कान को, हम देखना चाहते हैं
तेरी हर एक अरमान को, हम पूरा करना चाहते हैं
मौका तो दो मुझे एक बार, इजहार करने के लिए
तेरी हर गम को हम, अपने सर लेना चाहते हैं।
पोल की तरह खरे होकर, तार से लिपटे रहने दो मुझे
ताकि बिजली कि तरह गुजर जाओ तुम, मेरे रक्त से
वो बिजली का ऐहसास, हम लेना चाहते हैं।
समंदर के किनारे, कुछ देर तो रहने दो मुझे
तेरी तेज लहर, इस कदर आए मेरे पास
कि तेरी लहर में हम, समां जाना चहते हैं।
गूथने दो मुझे धीरे धीरे, धागे के अंदर
ताकि चुभन भी महसूस हो, मेरे भीतर
क्योंकि तेरी मोती की माला बनकर, हम बिखरना चाहते हैं।
जबतक हो तुम मेरे नसीब में हो, बस मेरे साथ रहो
जो भी कहना है भला बुरा, मुझसे कहो
हम तेरे साथ का एक पल भी,जाया नही करना चाहते है।
कुदरत का करिश्मा भी, क्या गजब है
जिसे चाहो उससे दूर, जिसे ना चाहो उसके पास
फिर भी एक बार तुमसे मिलकर, बिछड़ना चाहते हैं।
✍️ बसंत भगवान राय