पराये सपने!
हम चले थे
अपने सपनों की उड़ान देखने,
एक हवा के तेज झोंके ने
समझा दिया कि
वो सपने तो मैने समाज से उधार ले रखे थे
और जिनपर दबाव हो
वो भला उड़ान कैसे भरेंगे?
– सारांश सिंह ‘प्रियम’
हम चले थे
अपने सपनों की उड़ान देखने,
एक हवा के तेज झोंके ने
समझा दिया कि
वो सपने तो मैने समाज से उधार ले रखे थे
और जिनपर दबाव हो
वो भला उड़ान कैसे भरेंगे?
– सारांश सिंह ‘प्रियम’