हम गीत तुम्हारे सुन सुन कर
?रफी साहब की स्मृति को नमन?
हम गीत तुम्हारे सुन सुनकर जीवन की कश्ती खेते हैं
जब याद तुम्हारी आती है ये दो नैना रोते हैं
आ जाओ तुम्हारे बिन साहब संगीत की दुनियां सूनी है
गीत जावेद के सूने हैं गुलजार की कविता सूनी है
सूनी है मौसिकी जतिन ललित की रहमान की रचना सूनी है
कब तलक तुम्हारे बिन सूनी महफिल सूनी चौपाल चले
आ जाओ अगर आ सकते हो हम भी छोड़ सूना संसार चले
जिस पार तुम्हारी बस्ती है अब तो हम भी उस पार चले
अब तो हम भी उस पार चले……
हम भी अब तो उस पार चले….. (M.T.Ayen)