हम ग़लत को बर्दाश्त नहीं करते हैं !
हम ग़लत को बर्दाश्त नहीं करते हैं !
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हम सब कुछ ही देख रहे हैं,
ग़लत पर नज़र भी रख रहे हैं,
पर कुछ भी नहीं कह रहे हैं,
इसका मतलब ये नहीं है कि
हम सब कुछ ही सह रहे हैं !
हम अपने दायरे में ही रह रहे हैं,
हम जानकर भी अनजान से हैं,
हम ताकतवर होके बेजान से हैं,
इसका मतलब ये नहीं है कि
हम सब कुछ ही सह रहे हैं !
हम अपने मन से कुछ कह रहे हैं,
अंदर ही अंदर हम ऊब से रहे हैं,
बाहर से हम शांत से लग रहे हैं,
इसका मतलब ये नहीं है कि
हम सब कुछ ही सह रहे हैं !
हम तो ये कब से ही कह रहे हैं,
कि यहाॅं सब कुछ सही नहीं है ,
हमने कोई आपत्ति नहीं की है,
इसका मतलब ये नहीं है कि
हम सब कुछ ही सह रहे हैं !
हम सदैव शांति के पक्षधर रहे हैं ,
आपसी सौहार्द व भाईचारे से रहे हैं,
पर विषमताओं के ज़हर भी पिये हैं,
पर बाहर नहीं कभी कुछ कहे हैं,
इसका मतलब ये भी नहीं है कि
हम सब कुछ ही सहते जा रहे हैं !
हम बस सही के ही पक्षधर रहे हैं,
सदैव सही को ही ढूंढ़ते जा रहे हैं,
थोड़ा-बहुत गलत को गर सहे हैं,
इसका मतलब ये कतई नहीं है कि
हम सब कुछ ही सहते जा रहे हैं !
हम ग़लत को बर्दाश्त नहीं करते हैं !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण”
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १७/०७/२०२१.
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