हम गरीब है साहब।
आलीशान कमरों में हमें नींद नहीं आती है।
हम गरीब है साहब आदत है फुटपाथ पे सोने की।।1।।
जिदंगी यूं बदलेगी कभी सोचा ही नहीं था।
थक कर सोएंगे मुझे ना थी खबर ये सब होने की।।2।।
हम तो आदतन यूं हीं बस गुनगुना लेते थे।
ना पता था बेताबी होगी मुझको सुनने सुनाने की।।3।।
वक्त लगा पर खुदा ने सब मांगा दे दिया।
यूं पता चला मां की दुआ होती है कबूल होने की।।4।।
तू परेशां ना होना वादा है आऊंगा जरूर।
पता है तुझको फिक्र होती होगी बस मेरे आने की।।5।।
यूं तो दस्तरखान सजा है लजीज खाने से।
पर याद आती है अम्मा बड़ी तुम्हारे बनाए खानें की।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ