हम कुर्वतों में कब तक दिल बहलाते
हम कुर्वतों में कब तक दिल बहलाते
हमने तो वक़्त के साथ अकेला
ख़ुश रहना सीख लिया
क्योंकि पता ही नहीं चलता ,
कब कौन छोड़ कर भागने
से पहले संदिग्ध हो जाये
और जीवन की संकल्पना
में आकर भी क़त्ल करवाने
का साजिश रच जाये
राकेश पाण्डेय
लेखक
काव्य कटाक्ष