Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2024 · 1 min read

हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते…

हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते…
नहीं जान पाते कि अंदर से वो क्या है!
बस चिकनी चुपड़ी बातों पे भरोसा करके,
खींचे चले आते और देते ज़िंदगी गंवा हैं!!

…. अजित कर्ण ✍️

1 Like · 56 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
Rituraj shivem verma
उस झरोखे को बंद करें, जो आपको पीड़ा देता है, बाहर का दृश्य च
उस झरोखे को बंद करें, जो आपको पीड़ा देता है, बाहर का दृश्य च
इशरत हिदायत ख़ान
अरे यार तू जा जहाँ जाना चाहती है जा,
अरे यार तू जा जहाँ जाना चाहती है जा,
Dr. Man Mohan Krishna
✍️ नशे में फंसी है ये दुनियां ✍️
✍️ नशे में फंसी है ये दुनियां ✍️
राधेश्याम "रागी"
लब पे खामोशियों के पहरे थे।
लब पे खामोशियों के पहरे थे।
Dr fauzia Naseem shad
जीत मुश्किल नहीं
जीत मुश्किल नहीं
Surinder blackpen
भिखारी का कटोरा(कहानी)
भिखारी का कटोरा(कहानी)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
प्रेम का मतलब
प्रेम का मतलब
लक्ष्मी सिंह
भूख सोने नहीं देती
भूख सोने नहीं देती
Shweta Soni
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल 】*
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल 】*
Ravi Prakash
मैं उड़ना चाहती हूं
मैं उड़ना चाहती हूं
Shekhar Chandra Mitra
നിങ്ങളോട്
നിങ്ങളോട്
Heera S
24/245. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/245. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं होता डी एम
मैं होता डी एम"
Satish Srijan
देखा
देखा
sushil sarna
दिल तो बदल जाता है पलभर में
दिल तो बदल जाता है पलभर में
gurudeenverma198
बेशकीमती हँसी
बेशकीमती हँसी
हिमांशु Kulshrestha
पूस की रात।
पूस की रात।
Anil Mishra Prahari
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Why am I getting so perplexed ?
Why am I getting so perplexed ?
Chaahat
..
..
*प्रणय*
"इसलिए जंग जरूरी है"
Dr. Kishan tandon kranti
हे राम हृदय में आ जाओ
हे राम हृदय में आ जाओ
Saraswati Bajpai
!! मुरली की चाह‌ !!
!! मुरली की चाह‌ !!
Chunnu Lal Gupta
राममय जगत
राममय जगत
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
इश्क तो बेकिमती और बेरोजगार रहेगा,इस दिल के बाजार में, यूं ह
इश्क तो बेकिमती और बेरोजगार रहेगा,इस दिल के बाजार में, यूं ह
पूर्वार्थ
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
मजबूरी
मजबूरी
The_dk_poetry
Loading...