हम काम करते करते, विश्राम करते करते
हम काम करते करते, विश्राम करते करते
बस चल रहे हैं मुश्किल नाकाम करते करते
पहले थके हुये थे हम काम करते करते
बेचैन हैं मगर अब आराम करते करते
बीता कभी ये जीवन खुशियाँ गले लगाकर
कटता कभी ग़मों से संग्राम करते करते
करते रहे हैं हम तो अपने ही दिल को घायल
काँटों की हर चुभन को गुलफाम करते करते
ये भूलना कभी मत झुकने में ही अदब है
अभिमान कर न लेना तुम नाम करते करते
बद करने में किसी का होता बुरा है खुद का
बदनाम हो न जाना बदनाम करते करते
अब थक गये बहुत हैं खुशियाँ खरीदने को
हम आँसुओं को अपने नीलाम करते करते
लगने लगा है मन अब तो ‘अर्चना’ भजन में
चाहत है प्राण निकले बस राम करते करते
26-04-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद