हम कहां थे कहां चले आए।
हम कहां थे कहां चले आए।
चेहरे की मुस्कान को लौटाने चले आए।।
कुछ नजर नहीं आता था पैसा कमाने की बजाए।
अब पैसा खर्च करने चले आए।।
इस उम्र की चढ़ाव में जिम्मेवारियां बढ़ती जाए।
पर आज भी यह बचपना सा मन मुस्कुराए।।
हम कहां थे कहां चले आए।
चेहरे की मुस्कान को लौटाने चले आए।।
@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।