हम कवियों की पूँजी
श्रोता जन आपको हैं, करते प्रणाम हम,
आपका आशीष प्राण वायु के समान है।
आप ही से शोभा इस महफिल की बढ़ी है,
आप आए कृपा यह आपकी महान है।
हम कवियों की पूँजी आपकी ये तालियाँ हैं,
तालियों से जोश यह चढ़े आसमान है।
आपके बिना तो कोई मोल नहीं कविता का,
आपसे ही कवियों की कविता में जान है।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 23/08/2023