हम एसजेवीएन कहलाते है
भारत की धरती पर
हिमाचल की माटी में
बचपन पला है हमारा
सतलुज की घाटी में
आज नाम है हमारा
देश ही नहीं विदेश में
हम अंधेरों को भगाते है
हम एसजेवीएन कहलाते है।।
नदियों के पानी से
बिजली हम बनाते है
तेज़ हवा के झौंकों से
बिजली हम बनाते है
सूरज की किरणों से भी
बिजली हम बनाते है
हम अंधेरों को भगाते है
हम एसजेवीएन कहलाते है।।
हम घरों को ही नहीं
जीवन भी रोशन करते है
शिक्षा और स्वास्थ्य को
घर घर हम पहुंचाते है
विदेशों में परचम देश का फहराते है
नित नए कीर्तिमान भी बनाते है
हम अंधेरों को भगाते है
हम एसजेवीएन कहलाते है।।
राष्ट्र की तरक्की हो
दिन रात बिजली बनाते है
जैसे जैसे पूरे करते है
हम लक्ष्य अपने बढ़ाते है
राष्ट्र हित में 5, 25, 50
हजार के लक्ष्य हम बनाते है
हम अंधेरों को भगाते है
हम एसजेवीएन कहलाते है।।