हम उनकी यादों में
हम उनकी यादों में कुछ
इस क़दर खोये रहते है।
ख़्वाबों में अक्स उनका
संजोए रहते है।
चलती फ़िज़ाए भी एहसास
उसका कराती है।
कुछ इस तरह मेरी रूह में
अपना अधिकार बताती है।
आँखे बंद करता हूँ तो
रोज़ाना सपनो में आ जाती है।
मेरे हो तुम ऐसा वो
मुझसे कहकर जाती है।
अपनी हर बातों में जिक्र
मेरा कर जाती है।
मेरी ज़िन्दगी हो तुम वो
ऐसा मुझ से कह कर जाती है।
हर बार हिचकी बन कर
मुझे अपनी याद दिलाती है।
कुछ इस क़दर अपनी यादों में
मुझे वो सताती है।