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6 Jun 2022 · 1 min read

हम आजाद पंछी

आजादी है जीवन मेरा
हमें आजाद रहने दो।
ईश्वर ने दिये है हमें पंख
हमें खुले आसमान में उड़ने दो।

हम पंछी आजाद गगन के
पिंजरे में न रह पाएँगे।
चाहे पिंजरा सोने का ही क्यों न हो
पर इसमें हम घुट के मर जाएँगे।

हम खुले आसमान में रहने वाले,
इस पिंजरे से टकराकर
हमारे पंख टूटकर बिखर जाएंगे ।
इस पिंजरे में बंद रहकर हम
अपना मधुर स्वर भुल जाएँगे।

हम आजादी से चहचहाने वाले
इधर-उधर के दानों को
ढूंढ-ढूंढ कर खाने वाले
तालाब ,नदी ,झरनों का
जल पीने वाले
स्वतंत्र स्वभाव से जीने वाले,
हम कहाँ पिंजरे मे रह पाएंगे।

अपनी छोटी सी पंखो पर
सारा आसमान नापने वाले ।
अपने जीवन को कठनाईयों से
सदा लड़कर जीने वाले,
हम सारी सुख सुविधाओं के
बीच ज्यादा दिन कहाँ जी न पाएँगे

न पिंजरे में हमें बंद करो तुम
न हम वहाँ खुश रह पाएँगे।
बिलख – बिलख मेरे सारे सपने
उस पिंजरे में टूट कर रह जाएँगें।

हम परतंत्रता की बेड़ियो में
जकड़कर जी नही पाएँगे।
हम आजाद गगन के पंछी
पिंजरे में रह न पाएँगे।

~अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 6 Comments · 2076 Views
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