Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2024 · 3 min read

“हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं”

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
============================
लेखक,साहित्यकार,कवि,समालोचक,पत्रकार,स्तंभकार और विचारक की संख्याओं में निरंतर वृद्धि होती जा रही है ! किताबें छपतीं हैं ,प्रकाशित होतीं हैं और जगह जगह पुस्तकों का प्रदर्शन ,मेला और विमोचन भी होते हैं ! विभिन्य साहित्य को साहित्यकारों के अथक प्रयासों से उसे ऊंचाइयों तक ले जाते हैं ! कवि अपनी कविता और गीतों के माध्यम से लोगों को प्रेरित और मनोरंजन करते हैं ! अच्छे -अच्छे गीत कवि की कल्पनाओं का योगदान है ! समोलोचक अपनी समालोचनाओं से लोगों की आँखें खोल देते हैं ! सामाजिक परिवर्तन की दशा और दिशा बदलने में कारगर सिध्य होते हैं ! निर्भीक और संतुलित पत्रकारों ,स्तंभकारों और विचारकों को समाज में मान और सम्मान मिलता है !
परंतु इन बातों को भला इंकार कौन करेगा कि लिखने वालों की तुलना में पाठकों की रुचि निरंतर घटती जा रही हैं ! सर्वेक्षणों के मापदण्डों की बात कुछ विवादस्प्रद भी हो सकते हैं पर हम अपना आंकलन तो कर ही सकते हैं ! अपने इर्द -गिर्द और फ़ेसबूक के तमाम मित्रों का यदि आंकलन करें तो मात्र 1% प्रतिशत लोग किसी की कृतियों को पढ़ते हैं और अधिकांशतः 99% प्रतिशत अपने -अपने ताल और लय पर थिरकते रहते हैं ! उन्हें यह भी पता नहीं रहता है कि किसने उन्हें कुछ लिखा है ? तरह तरह के पोस्टों को वे पोस्ट तो करेंगे पर अपने मित्रों को जवाब लिखने से परहेज करते रहेंगे !
आज के परिवेश में कौन नहीं पढ़ना और लिखना जनता है ? इस बहाने का कोई महत्व नहीं है कि हम कुछ भाषाओं में अनभिज्ञ हैं !
“हिन्दी बोलता हूँ पर पढ़ना -लिखना मेरे वश की बात नहीं ! अँग्रेजी मेरे पल्ले पड़ती नहीं है ! मैं अपनी मातृभाषा से जुड़ा हूँ !”
इन सारी मिथक को गूगल ने उधेड़ कर रख दिया है ! विश्व की किसी भाषाओं में आप लिखें गूगल उसे आपकी अपनी भाषाओं में पलक झपकते अनुवाद कर देता है ! अब आप स्वयं जब किसी की लेखनी को पढ़ेंगे नहीं तो उसकी समालोचना आखिर करेंगे कैसे ? लाइक करके एक भ्रम फैलाना दृष्टता मानी जाती है ! विषय वस्तु को बिना जाने सुने कोई संक्षिप्त कमेंट करना अपने व्यक्तित्व को धूमिल बनाना होता है !
जितने भी फेसबूक फ्रेंड मुझसे जुडते हैं उन्हें मैं हमेशा अपना संक्षिप्त परिचय के साथ मेसेंसर पर पत्र लिखता हूँ ! व्यक्ति विशेष को उनकी ही भाषाओं में पत्र लिखता हूँ पर 100% प्रतिशत में 1% प्रतिशत लोग ही कुछ जबाव देते हैं ! बाँकि 99% प्रतिशत लोग कुंभकरण भी नहीं बनते हैं ! वे सजग हैं और आपको उधार के पोस्टों से आपके मेसेंसर को भरते रहेंगे ! यदि भूल के भी आपने अपना मोबाइल नंबर व्हात्सप्प वाला दे दिया तो प्रत्येक दिन आपको उधार वाला पोस्ट ,अनचाहा पोस्ट शेयर और लंबी चौड़ी राजनीति यू ट्यूब का सामना करबाएंगे ! पर दो शब्द कोई पढ़ना नहीं चाहता है और ना कोई जबाव देना ही चाहता है !
दो दिन पहले मैंने एक संस्मरण “ फौजी और उसका किट ” लिखा और पुरानी तस्वीर को भी लगाई ! एक मित्र भजन सिंह ने अपने कमेंट में लिखा “Kon si dunia mein ho?” इसे पढ़ने के उपरांत मेरा हृदय कौंध गया ! उसे मैंने लिखा ,—भजन सिंह , मुझे काफी ग्लानि हुई कि आपने ” KON SI DUNIA MEIN HO ” लिखकर कमेंट किया ! आपको पता होना चाहिए कि संस्मरण कहानियों का एक रूप है ! साहित्य जगत में इसका एक विशिष्ठ स्थान है और आपने ” KON SI DUNIA MEIN HO ” कहकर मुझे आहत किया ! जिसे शायद ही कोई नज़रअंदाज़ करेगा ! खेदपूर्ण ! …….मैं तत्काल आपको अपने फ्रेंड लिस्ट से निकाल रहा हूँ !” इतना ही नहीं मैंने इंग्लिश में भी अपना विचार व्यक्त किया ,–” Bhajan Singh, This is called a reminiscence of life that tries to project before the new generation. Your comment penetrated my heart. Before writing, you should go through it first. ” KON SI DUNIA MEIN HO ” is not the right way to write. Regret.
अंततः यह तो मानना पड़ेगा कि पाठकों की संख्या निरंतर घटती ही जा रही है और साथ -साथ संवादों का सिलसिला भी समाप्त होता जा रहा है ! इस डिजिटल युग में हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं !
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
12.10.2024

Language: Hindi
34 Views

You may also like these posts

मानो की शादी
मानो की शादी
manorath maharaj
जीवन जीते हैं कर्मठ
जीवन जीते हैं कर्मठ
Chitra Bisht
नास्तिकता
नास्तिकता
मनोज कर्ण
*मातृछाया*
*मातृछाया*
ABHA PANDEY
-खाली जेब की कसौटी -
-खाली जेब की कसौटी -
bharat gehlot
अब हर राज़ से पर्दा उठाया जाएगा।
अब हर राज़ से पर्दा उठाया जाएगा।
Praveen Bhardwaj
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
समंदर में नदी की तरह ये मिलने नहीं जाता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
दू गो देश भक्ति मुक्तक
दू गो देश भक्ति मुक्तक
आकाश महेशपुरी
4343.*पूर्णिका*
4343.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सृष्टि के कर्ता
सृष्टि के कर्ता
AJAY AMITABH SUMAN
वो जिस्म बेचती है, वैश्या कहलाती है
वो जिस्म बेचती है, वैश्या कहलाती है
Rekha khichi
" कथ्य "
Dr. Kishan tandon kranti
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ना मुझे बिहारी कहना प्यारे,
ना मुझे बिहारी कहना प्यारे,
श्रीहर्ष आचार्य
आँगन पट गए (गीतिका )
आँगन पट गए (गीतिका )
Ravi Prakash
प्यार या प्रतिशोध में
प्यार या प्रतिशोध में
Keshav kishor Kumar
शरारत करती है
शरारत करती है
हिमांशु Kulshrestha
मेरी जिन्दगी
मेरी जिन्दगी
ललकार भारद्वाज
#वक्त मेरे हत्थों किरया
#वक्त मेरे हत्थों किरया
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
🙅अजब संयोग🙅
🙅अजब संयोग🙅
*प्रणय*
जय हनुमान
जय हनुमान
Sudhir srivastava
लिखूं अहसास दिल के धड़कनों में तुम छुपा देना ।
लिखूं अहसास दिल के धड़कनों में तुम छुपा देना ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
माँ की अभिलाषा 🙏
माँ की अभिलाषा 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मेरी फूट गई तकदीर
मेरी फूट गई तकदीर
Baldev Chauhan
नाम बदलने का था शौक इतना कि गधे का नाम बब्बर शेर रख दिया।
नाम बदलने का था शौक इतना कि गधे का नाम बब्बर शेर रख दिया।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
एक पल में ये अशोक बन जाता है
एक पल में ये अशोक बन जाता है
ruby kumari
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुस्कुरा  दे  ये ज़िंदगी शायद ।
मुस्कुरा दे ये ज़िंदगी शायद ।
Dr fauzia Naseem shad
காதல் என்பது
காதல் என்பது
Otteri Selvakumar
ताकि अपना नाम यहाँ, कल भी रहे
ताकि अपना नाम यहाँ, कल भी रहे
gurudeenverma198
Loading...