हमे अब कहा फिक्र जमाने की है
हमे अब कहा फिक्र जमाने की है
फिक्र तो बस दो रोटी कमाने की है
किसी का नाम लिए बिना ही
खुद का नाम बनाने की है
मैं भी महोब्बत करना चाहता हूं अब
तलब मुझे अब बर्बाद हो जाने की है
बड़ा सब्र कर लिया है मैने हर बात के लिए
चाहत अब सब कुछ पा जाने की है
यूं तो सिलसिले चलेंगे तेरे बगहर भी
आस तो तेरे साथ जिंदगी बिताने की है
दुखो की भीड़ में बड़ा जी लिया पवन
उम्मीद अब लोगो को तेरे मर जाने की है