हमें सलीका न आया।
ज़िन्दगी को जीनें का हमें तरीका न आया।
पढ़े तो हम खूब ही पर हमें सलीका न आया।।1।।
क्या क्या बयां करें हम तुम्हें मां की खूबियां।
मां के जैसा हमने यहां कोई मसीहा न पाया।।2।।
बड़े ही परेशा होकर घूमे हम सेहरा सेहरा।
पर तिश्नगी में हमने आब का दरिया न पाया।।3।।
चले तो हम खूब काफिलों में सबके साथ।
पर सफरे जिंदगी में साथ किसी का न पाया।।4।।
परेशानी के सबब में मैंने इबादत तो खूब की।
पर खुदाओं को पसंद मेरा अकीदा न आया।।5।।
चढ़े जिसका हर ही फूल यहां दरगाहों पर
ऐसा फूलों का हमनें कोई बागीचा न पाया।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ