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3 Jun 2020 · 1 min read

हमें समझ नहीं आया,

(हमें समझ नहीं आया)

ऐ मैरे भारत वासियों,
तुम सोच के तो बतलाना,।

ऐ देश में कैसे आया कोराना,
इसे कोन हैं लाया हमकों बताना,‌।

ऐ देश हमारा क्यूं नहीं जाना,
पढ़ गया देश अब ऐ बीराना,।

कुछ लोगों ने स्वार्थ किया हैं,
देश अपना काल को दिया हैं,।

देश में अब ऐ कोराना छाया,
अपना ही देश में होय पराया,।

देश में महामारी गति से बढ़ गई,
कुंज लोगों को प्रचार की पढ़ गई,।

मजदूर रोय पेट की भूंख से,
पैसा मिले नहीं किसी अब सेठ से,।

घर जाना हैं न गाड़ी टिरैन हैं,
बसों को परमिट नहीं लम्बी लेन हैं,।

लम्बा हैं रस्ता पैदल जाना,
साथ परिवार और जनाना,।

कैसी भूंख ऐ पेट में आई,
इसको मिटाने परदेश हैं आई,।

नेता का जो आदेश आया,
देश अपने कोराना छाया,।

कोराना आया मज़दूरी छूटी,
नेताओं ने तो बस पैसा लूंटीं,।

दान दक्षिणा जो कछूं आया,
उससे अमीरों का कर्जा चुकाया,।

गरीबों को बस पांच सो रुपए आये,
बैंकों के कई उनको चक्कर लगवाए,।

भाषण दे गया योजना बनाई,
गरीबों की ऐ समझ न आई,।

ऐ मैरे भारत वासियों,
तुम सोच के तो बतलाना,।

ऐ देश में कैसे आया कोराना,
इसे कोन हैं लाया हमकों बताना,‌।

लेखक—Jayvind Singh Ngariya ji

Language: Hindi
487 Views
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