*हमें ले लो शरण में प्रभु ( भक्ति गीतिका )*
हमें ले लो शरण में प्रभु ( भक्ति गीतिका )
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हमें ले लो शरण में प्रभु, तुम्ही हे नाथ तारोगे
सबल फिर कंस-दुर्योधन, तुम्ही हमको उबारोगे
2
जगत में दुष्ट जितनी शक्तियॉं हैं हर तरफ फैली
वचन दो ले सुदर्शन-चक्र, उनको फिर से मारोगे
3
हमारे सामने है इंद्र, उसका आतताई बल
कहो कब देव गिरधारी, कि गोवर्धन को धारोगे
4
हुई मैली तुम्हारी फिर, नदी यमुना-नदी गंगा
चरण अपने कहो जल में, हे केशव कब उतारोगे
5
तुम्हारी शक्ति पर विश्वास है हमको मदन मोहन
भले बलवान हों दानव, मगर केशव न हारोगे
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451