हमें भी अपना लो……….. भस्मी रमने वाले |भजन|
हमें भी अपना लो मेरे, नाथ डमरू वाले
आ जाओ कैलाश से, ओ भस्मी रमने वाले
हमें भी अपना लो……………………………….. भस्मी रमने वाले
तुम जीवन देने वाले, दया के शिव सागर हो
छोड़ो ना तुम हाथ मेरा, बाहें तुम फैला दो
करुणा हमपे कर दो बाबा, प्यार की निगाह से
हमसे भी तुम जोड़ो नाता, जीवन सवांर दो
हमें भी आशीष दे दो, जटा रखने वाले
जन्म जन्म से मुक्त करो, परमपद देने वाले
हमें भी अपना लो……………………………….. भस्मी रमने वाले
आता है जो पास तेरे, रहमत तेरी पाता
गम सारे भूलता, जो चौखट तेरी आता
चाहूँ तेरी भक्ति मैं, और कुछ नही चाहूँ
भूतनाथ त्रिलोक के स्वामी, भजन तेरे गाऊँ
खाली है झोली भग्तों की, भर दो विष वाले
कस्ती का किनारा तू, सहारा डमरू वाले
हमें भी अपना लो……………………………….. भस्मी रमने वाले
आओगे गली हमारी, हमको ये विश्वास है
अब कैसा ये पर्दा बाबा, तेरा मेरा साथ है
‘मनोज’ को भी राह दिखा दो, हवि ये अरदास है
मुख पे तेरा नाम रहे ये, हरदम आठों याम रहे
मैं सेवक हूँ तेरा बाबा, भर्ग रूप वाले
नमामि चन्द्रशेखर, नमामि डमरू वाले
हमें भी अपना लो……………………………….. भस्मी रमने वाले
“मनोज कुमार”