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24 Dec 2021 · 2 min read

” हमें धनुर्धर बनना है “

( व्यंगात्मक आलेख )
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
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मित्रों की संख्या को बढाने की ललक हमारे जहन में घर कर गयी है ! …..हम प्रतिस्पर्धाओं के दौर से गुजर रहे हैं ! ….जब से इन यंत्रों का आविर्भाव हुआ हम लग गए नए- नए बटालियन के संगठनों में !…… हमने देखा हमारे नवीन भाई ने तो एक असंख्य मित्रों की टोली बना रखी है !…. हमने फिर और दोस्तों के प्रोफाइलों को खंघाला ..सबने अपनी विशाल सेना को एकत्रित कर रखा है ! हमारे मन भी हिलकोरें खाने लगे ! …..चाहत हमारी भी जगने लगी !

“हम भी किसी से कम नहीं ! ”

हमको भी तो ज़माने को दिखाना है कि हम भी धनुर्धर हैं !.. सेन्य संगठन के हम भी महारथी हैं ! ..जो अनुरोध आये उसे गले लगाया ! और हमने भी चुन -चुन कर अपनी अर्जी भेजी ! …..देखते -देखते एक विशाल सेना हमने भी एकत्रित कर ली ! और गर्व करते हुए…….

लगा एक सफल सेनापति बन गए ! झंडा तो हमने भी एवेरेस्ट पर गाड दिया ! इतनी उचाईयों पर पहुंचकर हम भले मित्रों की टोलिओं के शहंशाह बन गए पर हमें यह एहसास होने लगा कि अधिकांश सैनिको के चयनों में पारदर्शिता ,कर्मठता ,शिष्टता ,युध्य -कौशल और सिखने की प्रवृति को हम परख ना सके !

जुड़ तो गए ,..संख्या तो बढ़ी …पर ना जाने कौन सी छुट्टियों पर वे चले गए ? ना कोई अता -पता ! …….ना कोई संवाद ,……ना कोई खोज खबर ! ..समान विचार धारा ….सहयोग की भावना ,,…..गोपनीयता ..और मिलना जुलना ये मित्रता के चार स्तम्ब हैं ! …..मिलना जुलना तो इस डिजिटल युग में संभव नहीं है …..इसलिए चौथे स्तम्ब के बिना ही हम मित्रता की आश रखते हैं !

हमें वाध्य होकर कुछ मित्रों को “एब्सेंट विथआउट लीव ” घोषित करना पड़ा और कुछ अकुशल सेनिकों को ‘ प्री मेचुअर ‘ देना पड़ा ! अब हम सजगता से काम लेने का संकल्प कर चुके हैं ! अधूरे प्रोफाइल वाले मित्रों से हमें दूर रहना होगा ! उनकी फोटो आइडेंटिटी प्रोफाइल में चिपकी रहनी चाहिए ! हम दूर रहकर उनकी तस्वीर देखकर और विवेचनाओं को पढ़कर ही जान सकते हैं कि ये योग्य धनुर्धर हैं या अपने नामांकन के बाद कहीं ‘कुम्ह्करण ‘ तो नहीं बन जायेंगे ?

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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत

Language: Hindi
Tag: लेख
165 Views
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