Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Apr 2022 · 1 min read

हमें जिनसे मोहब्बत है वही हमसे ख़फ़ा क्यूँ है

हमें जिनसे मोहब्बत है वही हमसे ख़फ़ा क्यूँ है
बड़ी जिसकी ज़रूरत है वही हमसे खफ़ा क्यूँ है

हमें तो बात भी करनी नहीं आती किसी से पर
करे जिनसे शरारत है वही हमसे खफ़ा क्यूँ है

अजी बेचैन इस दिल ने बड़े धोके बहुत खाएँ
कहे जिनसे मुसीबत है वही हमसे ख़फ़ा क्यूँ है

ग़मों से हारकर पक्का किसी दिन हम फ़ना होते
खुशी जिसकी बदौलत है वही हमसे खफ़ा क्यूँ है

सभी को वो दिखाई दे दिखे जो सिर्फ़ ऊपर से
पता जिसको हक़ीक़त है वही हमसे खफ़ा क्यूँ है

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

3 Likes · 2 Comments · 214 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी बिलकुल चिड़िया घर जैसी हो गई है।
जिंदगी बिलकुल चिड़िया घर जैसी हो गई है।
शेखर सिंह
फूल भी हम सबको जीवन देते हैं।
फूल भी हम सबको जीवन देते हैं।
Neeraj Agarwal
*जीत का जश्न*
*जीत का जश्न*
Santosh kumar Miri
वो कविताचोर है
वो कविताचोर है
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
सबकुछ झूठा दिखते जग में,
सबकुछ झूठा दिखते जग में,
Dr.Pratibha Prakash
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
काश ! लोग यह समझ पाते कि रिश्ते मनःस्थिति के ख्याल रखने हेतु
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
विचार, संस्कार और रस [ तीन ]
कवि रमेशराज
रुत चुनावी आई🙏
रुत चुनावी आई🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पुरवाई
पुरवाई
Seema Garg
राहों से हम भटक गए हैं
राहों से हम भटक गए हैं
Suryakant Dwivedi
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
करना है कुछ खास तो, बनो बाज से आप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं (गीत)*
*पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं (गीत)*
Ravi Prakash
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"तोता"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने कदमों को
अपने कदमों को
SHAMA PARVEEN
झूठों की महफिल सजी,
झूठों की महफिल सजी,
sushil sarna
मेरे जीवन में सबसे
मेरे जीवन में सबसे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
चुनना किसी एक को
चुनना किसी एक को
Mangilal 713
ख़ामोश मुझे मेरा
ख़ामोश मुझे मेरा
Dr fauzia Naseem shad
"मैं तारीफें झूठी-मूठी नहीं करता ll
पूर्वार्थ
पतंग
पतंग
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
3339.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3339.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ढ़ांचा एक सा
ढ़ांचा एक सा
Pratibha Pandey
वैश्विक बाज़ार और हिंदी
वैश्विक बाज़ार और हिंदी
Shashi Mahajan
औरत अपनी दामन का दाग मिटाते मिटाते ख़ुद मिट जाती है,
औरत अपनी दामन का दाग मिटाते मिटाते ख़ुद मिट जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रंजीत कुमार शुक्ला - हाजीपुर
रंजीत कुमार शुक्ला - हाजीपुर
हाजीपुर
*बाल गीत (सपना)*
*बाल गीत (सपना)*
Rituraj shivem verma
हरीतिमा हरियाली
हरीतिमा हरियाली
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
लघुकथा - घर का उजाला
लघुकथा - घर का उजाला
अशोक कुमार ढोरिया
Loading...