हमें जिनसे मोहब्बत है वही हमसे ख़फ़ा क्यूँ है
हमें जिनसे मोहब्बत है वही हमसे ख़फ़ा क्यूँ है
बड़ी जिसकी ज़रूरत है वही हमसे खफ़ा क्यूँ है
हमें तो बात भी करनी नहीं आती किसी से पर
करे जिनसे शरारत है वही हमसे खफ़ा क्यूँ है
अजी बेचैन इस दिल ने बड़े धोके बहुत खाएँ
कहे जिनसे मुसीबत है वही हमसे ख़फ़ा क्यूँ है
ग़मों से हारकर पक्का किसी दिन हम फ़ना होते
खुशी जिसकी बदौलत है वही हमसे खफ़ा क्यूँ है
सभी को वो दिखाई दे दिखे जो सिर्फ़ ऊपर से
पता जिसको हक़ीक़त है वही हमसे खफ़ा क्यूँ है
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’